maharathi
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कैसे आऊँ मोहन मेरी भीजै चूनरिया
भीजै लहंगा भीजै चूनर भीजि रही फरिया।।मुखड़ा।।
सावन बरसे भादौं गरजे चमके बीजुरिया
मेरे मन में मोह भरौ है मोहन मन हरिया।।1।।
भूलौ करम धरम सब भूलौ भूली चाकरिया
भूली सब कुछ पर नाय भूली तुम को सांवरिया।।2।।
परि कैसे रुक जाऊँ मोहन छेड़ी बांसुरिया
नजर झुकावत नजर चुरावत ओढी चादरिया।।3।।
गागर मेरी फोरि दई तकि मारी कांकरिया।
जिय गागर थी महारथी मेरे आवन कौ जरिया।।4।।
डा. अवधेश किशोर शर्मा ‘महारथी’
वृन्दावन, मथुरा (उ.प्र.)
+919319261067
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