maharathi
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आ पहुंचा महफिल में आंखें नींद भरी
गोदी में सिर रख सुख लेने को माता आज अरी।।मुखड़ा।।
रुधिर तिलक सिर ताज अशोक सीने चक्र वही
चार कहारों की डोली चढि आयौ शान रही।
धारण की गणवेश तिरंगी लाल सफेद हरी।।1।।
जननी दूध न कबहु लजायौ रण में न पीठ करी
घिरा अकेला चुन चुन मारे जियत न आंख डरी
दस मारे तब लेट वक्ष पर यह बंदूक धरी।।2।।
कर्ज चुका माँ माटी मानुष बाकी सूद अभी
वहाँ दिवाने संगी साथी गोला तोप सभी
तेरी बारी सूद चुका सुत जा बन बवण्डरी।।3।।
आज अमर होकर आया हूँ यारा तेरी गली
तिमिर हटा आने को है भोर किरण पहली
हो बुलन्द जय हिन्द का नारा आंसू की न झरी।।4।।
माता दूध पिला राखी रख कर पर बहन मेरी
महारथी कर तिलक आरती तनिक न कर देरी।
संगिनि विदा करो मैंने पावन यात्रा शुरू करी।।5।।
डा. अवधेश किशोर शर्मा ‘महारथी’
वृन्दावन, मथुरा (उ.प्र.)
+919319261067
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