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महारथी या समय कौ कर पूरौ सम्मान
गीता कौ ये गीत है वेदन कौ ये ज्ञान।।दोहा-1।।
समय निकलता जाय रे लौट कभी ना आय
समय पडे़ पर चूकता मूरख वो कहलाय।। दोहा-2।।
समय अभी भी शेष है कर लेना कुछ काम
अन्त समय को छौडि़ये जप लो जय श्री राम।। दोहा-3।।
अन्त समय जब आयगौ अंग शिथिल है जाय
अन्त सबहि कौ आव तौ अन्त राम ना आय।। दोहा-4।।
दिवस चक्र, रितु चक्र शुभ जीवन चक्र बताय
सरिता कल कल धार समय पल पल बीता जाय।। मुखड़ा।।
अर्जुन, गोपी, भील, सर नाहिं कछू बदलाव
समय गयौ नासमझ कौ, अब अर्जुन पछताय।।1।।
गीता का यह गीत है वेदों का है ज्ञान
चिडि़याँ चुगती खेत को तू मूरख कहलाय।।2।।
समय अभी भी शेष है कर लेना कुछ काम
अन्त समय जब आयगौ अंग शिथिल हो जाय।।3।।
‘महारथी’ या समय कौ करि पूरौ सम्मान
राम बाण सम समय कभी फेरि न फिर कैं आय।।4।।
डा. अवधेश किशोर शर्मा ‘महारथी’
वृन्दावन, मथुरा (उ.प्र.)
+919319261067
महारथी या समय कौ कर पूरौ सम्मान
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