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अमर प्रेम की बेल (गीत)

maharathi
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अमुआ की डारी पै

बोले रे कोयलिया

कागा ना आवे

मेरे अंगना ओ बहना

चैन ना पड़ै रे

मोहे दिन और रैना।।मुखड़ा।।

पीहू पीहू पपिहा

बोले रे मोबाइला

पीयू परदेश

पुकारे मेरी मैना

दुसह विरह

मुश्किल पर सहना।।1।।

सरप जहर बुझी

चले पुरवैया

चमके बिजुरिया

पै बीजुरी परैना

का कहूं कैसे

बोलूं जाय कहैना।।2।।

देह जरै परैं

सीरी सीरी बुदिंया

बिरहा की आग

बुझाऐं तें बुझैना

सावन बरखा कौ

घाव भरैना।।3।।

डा. अवधेश किशोर शर्मा ‘महारथी

वृन्दावन, मथुरा (उ.प्र.)

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