maharathi
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कुण्डलियां तौ लिख गई नहीं एक हू दोष
गर्वीली बातें सुनी भ्राताश्री कूं रोष
भ्राता श्री को रोष कवी ऐसे ही बन जायगौ
कौन सौ है वो नियम जाय तू या में पायगौ।
महारथी दे मोड़ राह टेढी ये गलियां
तू लिखवौ दै छोड नाहिं बस की कुण्डलियां।।
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पायगौ ना लल्लू मिला कुण्डलियों के तार।
पहले दोहा आयगौ पुनि रौला की धार।
पुनि रौला की धार आदि सौं अंत मिलानौ
छह पंक्तिनु में ही पूरौ मतलब समझानौ।
महारथी जा भूल शरण गुरु की जायगौ
काट दोष के शूल कुण्डली मिला पायगौ।।
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डा. अवधेश किशोर शर्मा ‘महारथी’
वृन्दावन, मथुरा (उ.प्र.)
+919319261067
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