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सोडली परिचय (हिन्दी काव्य सृजन की एक नई विधा)

maharathi
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SodaliSodaliआजकलकाव्यसृजनमेंअनेकनयेरूपरहेहैं।तुकान्तऔरअतुकान्तदोनोंहीप्रकारकीकविताओंकेसृजनमेंकविगणबढचढकरहिस्सालेरहेहैं।मैंइनमेंसेकिसीभीकाव्यसृजनकाविरोधीयाआलोचकनहींहूँ।इसकाकारणस्पष्टहैकि आलोचना और विरोध ज्ञानियों और विद्वान जन का कार्य है, और मैंस्वयंकोहिन्दीसाहित्यका कोई ज्ञानीया विद्वान नहींमानताहूँ।सविनयस्वीकारकरताहूँकियहसबबसगुरुदेवकीकृपाकाचमत्कारहैकिसृजनकार्यहोपारहाहै।============================================

सोडली! आपकेसम्मुखहिन्दीसाहित्यमेंपद्यलेखनकीएकनईविधाकामैंविमोचनकरनेकाप्रयासकररहाहूँ।हांलांकिइसमेंविमोचितकरनेहेतुनयाकुछभीनहींहैअपितुयहपद्यकेकुछनियमोंकोएकसाथपिरोकरएकनयापरिवर्दि्धतरूपआपकेसामनेरखनेकाप्रयासहै।

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कुण्डलीपरिचयःआपसभीजानतेहैंकिकुण्डलीमात्रिकछंदहै।दोदोहोंकेबीचएकरौलामिलाकरकुण्डलीबनतीहै।पहलेदोहाकाअंतिमचरणहीरौलाकाप्रथमचरणहोताहैतथाजिसशब्दसेकुण्डलीकाआरम्भहोताहैउसीशब्दसेकुण्डलीकासमापनहोताहै।

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इसेइसप्रकारभीकहाजासकताहै

पायगौनालल्लूमिलाकुण्डलियनुकेतार,

पहलेदोहाआयगौपुनिरौलाकीधार।

पुनिरौलाकीधारआदिसौंअन्तमिलानौ,

छहपंक्तिनुमेंहीपूरौमतलबसमझानौ।

महारथीअन्तिमचरणदोहाकौगायगौ,

रौलाकावहप्रथम, कुण्डलीमिलापायगौ।।

=============================================कविरायगिरधरजीकीकुण्डलीकाएकउदाहरणलियाजायः

लाठीमेंगुणबहुतहैं, सदाराखिएसंग,

गहरेनदनालेजहां, तहांबचावेअंग।

तहांबचावेअंग, झपटकुत्ताकूंमारै,

दुश्मनदावागीरहोएतिन्हूकोझारै।

कहगिरधरकविरायसुनोमेरेपाठी,

सबहथियारनछांडि़हाथमेंलीजैलाठी।।

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सोडलीपरिचयःसोडली, कुण्डलीमेंएकदोहाऔरदोसोरठाकेएकनयेरूपकाएकयुग्महै।इसीलिएइसेसो (सोरठा) और (कुण्डली) डलीकोजोड़करयहनामदियागयाहै।यहएकमात्रिकछंदहैजिसमेंमात्राविन्यासनिम्नप्रकारहै

13, 11

13, 11

11, 13

11, 13

11, 13

11, 13

सोडलीमें प्रथम दो पंक्तियां दोहाहै।अर्थात्द्वितीयचरणऔरचतुर्थचरणमेंगुरुकेउपरान्तलघुमात्राआतीहैंसाथहीइनकेकाफियाकामिलानभीकियाजाताहै।मात्राविन्यास 13,11; 13,11 रहताहै।कुण्डलीकीभांतिदोहाकाअन्तिमचरणहीरौलाकाप्रथमचरणहै।

सोडलीकीतीसरीऔरचतुर्थपंक्तियांसोरठाहैंजिसमेंपांचवेतथासातवेचरणकेसमापनमेंगुरुकेउपरान्तलघुमात्राहोतीहैतथाउनकाकाफियामिलानकियाजाताहै।यहांयहभीध्यानरखाजाताहैकिछठवेएवंआठवेचरणकाभीकाफियामिलानकियाजायलेकिनइनदोनोंचरणोंकासमापनगुरुकेउपरान्तलघुमात्रासेहो।।मात्राविन्यास11,13; 11,13 रहताहै।

सोडलीकीपांचवीऔरछठीपंक्तियांभीसोरठाहैंजिसमेंनौवेतथाग्यारहवेचरणकेसमापनमेंगुरुकेउपरान्तलघुमात्राहोतीहैतथाउनकाकाफियामिलानकियाजाताहै।साथहीदसवेएवंबारहवेचरणकाभीकाफियामिलानकियाजाताहै।आवश्यकहैकिइनदोनोंचरणोंकासमापनगुरुकेउपरान्तलघुमात्रासेहो।मात्राविन्यास 11,13; 11,13 रहताहै।कुण्डलीकीभांतिसोडलीभीछहपंक्तियांअर्थात्बारहचरणयुक्तकाव्यहैऔरसोडलीकाप्रथमशब्दयाशब्दयुग्महीसोडलीकेअंतमेंआताहै।

=============================================एकउदाहरणदेखतेहैं

वीरभयंकरचलपड़े, हिलनेलगेपहाड़,

शेरछिपेजामांदमें, ऐसीविकटदहाड़।

ऐसीविकटदहाड़, गरजनाघोरभयंकर,

गरजनसेदेंफाड़, गिरेंपरवतछनछनकर।

महारथीआगाज, जंगकाहैयेअवसर,

होयफैसलाआज, दहाड़ेंवीरभयंकर।।

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सोडलीक्यों?यहसत्यहैकिअन्यछंदोंकीतुलनामेंकुण्डलीकासृजनथोड़ाक्लिष्टहैलेकिनकुण्डलीद्वाराजोप्रस्तुतिकमशब्दोंमेंपूरेप्रभावऔरप्रवाहकेसाथहोतीहैवहअन्यछंदोंमेंनहींहोपातीहै।सोडलीकासृजनहालांकिकुण्डलीकीतुलनामेंऔरभीक्लिष्टहोजाताहैलेकिनसोडलीद्वाराप्रस्तुतिमेंकुण्डलीकीतुलनामेंप्रभावकताऔरप्रवाहतामेंऔरवृद्धिहोजातीहै।लगातारकाफियामिलानकेकारणयहऔरअधिककर्णप्रियऔरलयबद्धहोजातीहै।

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एकऔरउदाहरणदेखतेहैं

बीड़ीकौधूंआबुरौ, खांसतहैंदिनरात,

सांसरोगऐसैंलगैं, बिनमौसमबरसात।

बिनमौसमबरसात, किधूंआंबहुतकसैलौ,

दिलकूंनायसुहात, करैजियमनकूंमैलौ।

महारथीरखियाद, सुरगकीटेढीसीढी,

करदेगीबरबाद, हाथमतलैनाबीड़ी।।

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आप सभी सुधी पाठकों से उनकी प्रतिक्रिया सादर निवेदित है ताकि सोडली में अन्य आवश्यक सुधार किये जा सकें। जिससे यह जन मानस में लोकप्रिय हो सके।

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।।डा. अवधेशकिशोरशर्मामहारथी।।

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