maharathi
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धर्मोन्माद और साम्प्रदायिकता
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धर्मोन्मादी गद्दी बैठे,
करते खास धरम पर चोट।
सम्प्रदाय औ धरम सौं नापैं,
किन को पतरौ मोटौ रोट।
धर्म देख कर नीति बनावैं,
नाम देख कर बांटें नोट।
सम्प्रदाय की आग जलाते,
इनकी नीयत में है खोट।।
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राजनीति में बहू बेटियां,
अरु खुद बिकने को तैयार।
खोल के चोली राजनीति की,
करते वोटों का व्यापार।
अब कें आवैं वोट मांगिवे,
इनमें बहुत परैगी मार।
महारथी इन वोट दिया तो,
तुझको लाख लाख धिक्कार।।
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