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।।मेरे दुशमन।।

maharathi
maharathi
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Dushman

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लोभ मन में भरा क्रोध तन में भरा,

पाप की उलझनों की नहीं है कमी।

छल कपट का बनाया है सुदृढ किला,

गर्व झूठ वचनों की नहीं है कमी।

एक आलस बहुत मेटने को मुझे,

फिर भी मुझमें फनों की नहीं है कमी।

घर के बाहर मेरा कोई दुशमन नहीं

मेरे घर दुशमनों की नहीं है कमी।।

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