maharathi
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।।धर दै।।
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दै दै जाके कान पै, करै जो अब कैं खोट,
तो कौं पूरी छूट है, जा डंका की चोट।
जा डंका की चोट, संग हम खडे़ तिहारे,
जा सीना पै लोट, कि बनि जा फनधर कारे।
‘महारथी’ औधूत, खाल में भूसा फर दै,
भारत माँ कौ जूत, शीश पै वा के धर दै।।सोडली।।
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