maharathi
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।।पूस का माह।।
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पूस का माह है, किसको परवाह है,
राह है मदभरी, सर्द ये रात है।
रात तारों भरी, चांदनी जल परी,
चांद यौवन लिये, वाह क्या बात है।
शब्द से शब्द टकरा, रहे प्यार के,
प्यार की होने वाली, बरसात है।
जब प्रणय का निवेदन, हुआ कारगर,
हर समापन पे होती, शुरुआत है।।
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