maharathi
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वृन्दावन की यातायात व्यवस्था
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आज खुशी का दिन इसलिए भी है कि मेरी कविताऐं दैनिक जागरण के आज के मथुरा संस्करण अर्थात् जनवरी 11, 2016 के पेज संख्या 4 पर प्रकाशित हुई हैं।
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दिल्ली वारे यार ने लई बड़ी सी कार,
तेल भराया पम्प पर पूरे तीन हजार।
पूरे तीन हजार लंच छह सौ का खाया,
वृन्दावन को चले, कार में गियर लगाया।
‘महारथी’ गाड़ी लगवादी सड़क किनारे,
बचे पार्किंग खर्च सोचते दिल्ली वारे।।1।।
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गाड़ी ठाड़ी रोड पर लगा रही थी जाम,
भीड़ पसीना पोंछती विकट तेज थी घाम।
विकट तेज थी घाम यार दरशन को धाये
भीड़ कार वारे को मन ही मन गरियाये।
‘महारथी’ इक चचा कहें खुजलाते दाड़ी,
काऊ दिल्ली वारे की होगी ये गाड़ी।।2।।
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