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टेढ़ी दुम का कूकरा, बार बार आ जाय,
पीट-पीट हर बार ही, देते इसे भगाय।
देते इसे भगाय कि छिपकर फिर से आता,
हम पर ही गुर्राय, हमी को दांत दिखाता।
‘महारथी’ इस बार, कहानी जो फिर छेड़ी,
जड़ से लेहिं उखार, करे अब के दुम टेढ़ी।।
धमकी के आगे कभी, झुके न अपना देश,
गदहे धमकाने लगे, ओढ़ शेर का वेश।
ओढ शेर का वेश, गधा तो गदहा होता,
हर दिन खिंचते केश, खून के आंसू रोता।
‘महारथी’ छल जाल कि एटम बम की भभकी,
गज की अपनी चाल गधा दे बेशक धमकी।।
तुझे सुनाने आ गया, मैं अपना फरमान,
क्या मेरे दिल में रही, क्या मेरा अरमान।
क्या मेरा अरमान, बात सब साफ हमारी,
देख मान जा मान, पड़ेगी तुझको भारी।
‘महारथी’ ले जान, चले ना कोय बहाने,
खूब खोल ले कान, खड़ा हूं तुझे सुनाने।।
उंगली किसे दिखा रहा, करता किसकी होड़,
लाली देखी आंख की, भाग गया रण छोड़।
भाग गया रण छोड़, स्वयं रणधीर बताये,
बात-बात में जोड़, बात बेबात बनाये।
‘महारथी’ नापाक, न कर अब झूठी चुगली,
हो जाएगा खाक, बचे ना नाक न उंगली।।
दे दे जा के कान पर, करे जो अबकी खोट,
तुझको पूरी छूट है, जा डंका की चोट।
जा डंका की चोट, संग हम खड़े तुम्हारे,
जा सीना पर लोट कि बन जा फन धर कारे।
‘महारथी’ औधूत, खाल में भूसा भर दे,
भारत मां का जूत, शीश पर उसके धर दे।।
वीर भयंकर चल पड़े, हिलने लगे पहाड़
शेर छिपे जा मांद में, ऐसी विकट दहाड़।
ऐसी विकट दहाड़, गरजना घोर भयंकर
गरजन से दें फाड़, गिरें परवत छनछन कर।
‘महारथी’ आगाज, जंग का है ये अवसर
होय फैसला आज, दहाड़ें वीर भयंकर।।
पूंछ दबाकर भग लिये, थे बैरी दमदार,
जोश देखकर वीर का, सुन करके हुंकार।
सुन करके हुंकार कि रण जौहर दिखलाये,
छीन लिये हथियार, मार कर सभी गिराये।
‘महारथी’ का वार, सेर पर सेर सवा कर,
बैरी का सरदार, भागता पूंछ दबा कर।।
तड़ तड़ तड़ गोली चले, गोला बोले धाड़,
चुन चुन कर पकड़े सभी, तोड़ तोड़ कर हाड़।
तोड़ तोड़ कर हाड़, छिपे पर छिप ना पाये,
दिये धरा में गाड़, वीर रण जौहर दिखलाये।
‘महारथी’ खूंखार, बढ़े बेधड़क धड़ा धड़,
सिर पर मौत सवार, कर रहा ताड़ तड़ा तड़।।
रण बांके की आरती, करता सारा देश,
पल भर में यूं मिट गये, दुनिया भर के क्लेश।
दुनिया भर के क्लेश, जान पर अपनी खेला,
धार विजेता वेश, देश खुशियों का मेला।
‘महारथी’ सब भूल, खबर तेरे आने की,
कर में माला फूल, आरती रण बांके की।।
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