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उजड़ गया यारों, ये वो चमन नहीं है

maharathi
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जिस गुलिस्तां की चाह में तुम यहां आये थे,

उजड़ गया यारों ये वो चमन नहीं है।

अमन का मसीहा मत कहना मुझको,

खुद के मेरे मुहल्ले में अमन नहीं है।।


मुहब्बत करने वालों के गांव अलग नहीं होते,

हर गांव में कुछ मसीहा रहा करते हैं।

इन नादान बच्चों को आगाह कर महारथी,

खबर है कि इस मोहल्ले में आदम खोर रहा करते हैं।।


दूसरों की कब्र खोदकर जश्न मनाने वाले,

तेरी कब्र खोदने कोई भी नहीं आयेगा।

नेक बंदे जाते हैं परवर दिगार की राहों में,

खुदा कभी तुझको अपने दर पर नहीं बुलाएगा।।


खुद के बेआबरू होने का कोई खौफ नहीं तुझको,

दूसरों की आबरू सरे आम बेचने वाले।

तुझ को नाज है शहर के इस चैराहे पर,

महारथी रास्ते और भी हैं यहां छह राहों वाले।।


कभी भगवान कभी हैवान कभी शैतान बनता है,

इंसान बनकर देख नानी याद आ जाएगी।

ऊपर बैठकर मेरी कहानी पढ़ने वाले,

नीचे आकर देख, मेरी कहानी याद आ जाएगी।।


नसीहत दी थी मुझे जिस पथ की,

मैं आज भी पथिक हूं उसी पथ का।

अंखियां पथरा गयी मेरी महारथी तुझे बिन देखे,

इंतजार आज भी है मुझे तेरे रथ का।।


जो कभी विषय नहीं था तेरा,

आज वही विषय तेरा क्या समय की रेखा है।

तुमने देखा होगा गिरगिट को रंग बदलते,

हमने महारथी को रंग बदलते देखा है।।

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